8TH SEMESTER ! भाग- 96( New War-6)
"और तूने कुछ नही किया..."
"ना...मैं क्यूँ कुछ करूँगा...मुझे तो ये सब देखकर बहुत मज़ा आता था....मेरा मन करता था कि साली को सबके सामने नंगा करके बेल्ट से खूब मारू और फिर उसके मुँह मे घुसा दू ....वैसे तेरा नाम क्या है..."
"अरमान.."
मेरा नाम सुनते ही ट्रेन के माफ़ीक़ तेज दौड़ती हुई उसकी जुबान मानो अचानक लड़खड़ा के पटरी से उतर गई.. वो हकलाते हुए बोला..
"अअ..र..मा..न...अरमान...?"
"और सुन बे विश्वकर्मा... यदि दोबारा ये सब किसी और से कहा तो तेरे बॉडी मे जहाँ-जहाँ छेद दिखेगा वही घुसाउँगा ... बहुत बड़ा गुंडा था ना तू कॉलेज का... साले तेरी सारी गुंडई मै वही घुसा दूंगा, जहा से तू निकला है... फ़ोन रख साले... पक्का तेरी मा को भी ऐसे पेल के किसी ने बदनाम किया होगा, फ़ोन रख साले....हरामी की औलाद.."
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कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद मैं गुस्सा होने के साथ -साथ थोड़ा उदास भी हो गया था क्यूंकी एक तरफ निशा झूठी साबित हो गयी थी तो वही दूसरी तरफ उसने इतना कुछ झेला...मुझे यकीन नही हो रहा था.... एक तरफ मैं उसपर बहुत गुस्सा था तो दूसरी तरफ उसके अतीत के बारे मे जानकार दिल छल्ली हुआ जा रहा था.... कि काश मै उस वक़्त उसके साथ होता... एक तरफ दिल निशा से ये पुछने के लिए बेचैन था कि उसने मुझसे झूठ क्यूँ बोला तो दूसरी तरफ उसके ज़ख़्मो को फिर से हरा करने का डर मुझे ऐसा करने से रोक रहा था.... बडी अजीब कश्मकश मे था मै इस समय
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"चलता है यार,रिलैक्स ...Be A Man"अरुण ने कहा....
"रिलैक्स और इतना सब कुछ जानने के बाद..."
"मेरे पास एक आइडिया है...जा हिला के आ .."
"अब यदि तूने कुछ और कहा तो मैं तुझे मार दूँगा..."
"मैने क्या किया और यदि बात ऐसी ही है ना... अरमान..तो तूने कॉलेज मे क्या किया था 8th Semester ! मे..?? भूल गया क्या... या याद दिलाऊ... हम जैसे गलत लोगो को दुसरो कि गलती पे बोलने का कोई हक़ नहीं... हाँ यदि बदला लेना चाहता है विश्वकर्मा से तो..मरते दम तक मैं तेरा साथ दूंगा... लेकिन नैतिकता का पाठ मुझे मत पढ़ा..."
इसके बाद हम तीनो मे से कोई कुछ नही बोला... रूम पहुंचकर मैंने सिगरेट का पैकेट उठाया और सीधा बालकनी पे आकर खड़ा हो गया और निशा के घर की तरफ देखने लगा.... अरुण के शब्द अब भी मेरे कानो मे गूंज रहे थे और इसी गूंज मे किसी और की भी आवाज़ सवाल थी.. जिसकी चीखे मेरे कानो को फाड़ने लगी.. मैं एक पल मे बेचैन हो उठा और पहली वाली सिगरेट अभी ख़तम भी नहीं हुई थी कि तुरंत दूसरी सिगरेट पैकेट से निकाल कर मुँह मे फंसाया और उसे भी सुलगा कर दोनों सिगरेट को एक साथ खींचने लगा... जब भयंकर धुआँ मेरे फेफड़ों मे पंहुचा तो उसने मेरे दिल से सेटिंग की और उसकी चीखे बंद हुई.... इस वक़्त सिगरेट और मेरा दिल दोनो साथ-साथ जल रहे थे....
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"मेरे पास एक आइडिया है,अरमान.... अतीत के समुंदर मे चलकर मज़े करते है...बोले तो, कहानी आगे बढ़ा ...इस तरह तेरा माइंड भी रिलैक्स हो जाएगा "वरुण ने अंदर से आवाज़ दी
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"सर जॉब कंप्लीटेड..."टर्निंग शॉप के फ़ौजी की तरफ देखकर मैने कहा...
"क्या..."
"सर जॉब कंप्लीटेड..."मैं एक बार और चीखा...
"नेटवर्क खराब है, पास आकर बोलो...ओवर..."
"ये साला खुद को जनरल समझता है और हमें अपना सिपाही... साला कान का अंधा "टर्निंग शॉप वाले बूढ़े को गाली बकते हुए मैने अरुण को उसके पास जाने के लिए कहा....
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"सर हमारा एक्सपेरिमेंट कंप्लीट हो गया..."उसके पास जाकर अरुण बोला और जॉब उसके सामने वाली टेबल पर रख दिया....
टर्निंग शॉप वाले फ़ौजी की उम्र और उसके आँख मे नंबर वाला चश्मा देखकर मैने सोचा था की थोड़ी-बहुत माइनर मिस्टेक (2-3 mm की ) वो नही देख पाएगा...लेकिन जब अरुण ने जॉब उसको दिखाया तो वो गुस्से से एकदम तमतमा उठा
"यहाँ का मोर्चा संभाले रखना मैं गन लेकर आता हूँ..."
"तेरी माँ की सूत , तेरी माँ का ढोकला "साइलेंट मोड मे अरुण ने अपना मुँह चलाया....
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कुछ देर तक वो फ़ौजी ना जाने अंदर क्या ढूंढता रहा और फिर जब वापस आया तो उसके हाथ मे एक स्केल थी...जिसमे से सेंटीमीटर और मिलिमीटर के कई यूनिट घिस चुके थे...उसके स्केल की जर्जर हालत देखकर मैने अंदाजा लगाया कि..ये स्केल जरूर उसके पास तब से है.. जब से उसे पहले बार स्केल की जरुरत पड़ी रही होगी... उसके स्केल की खस्ता हालत देख मेरे खास दोस्त अरुण ने अपनी नयी-नवेली स्केल उसकी तरफ बढ़ाई...जिससे वो फ़ौजी भड़क गया...
"दुश्मनो और उनके हथियारो पर कभी यकीन नही करना चाहिए...दो कदम पीछे हट..."
"तेरी माँ की सूत, तेरी माँ का ढोकला ..."अरुण एक बार फिर साइलेंट मोड मे आ गया....
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मेरा अनुमान था कि फ़ौजी हमे सबसे पहले जॉब कम्पलीट करने के लिए गुड वर्क कहकर यहाँ से जाने देगा,लेकिन हमारे जॉब की डाइयामीटर को जब उसने अपनी जर्जर स्केल से नापा तो साला नापते ही रह गया हऔर ना जाने कहाँ खो गया..वो कभी बाहर जाकर डाइयामीटर चेक करता तो कभी वहाँ लगे बल्ब की रोशनी मे चेक करता....और 15-20 मिनिट्स की कशमकश के बाद उसने अरुण को घूरा...
"डायमीटर 1 मिलीमीटर ज़्यादा है.."
"इतना तो चलता है सर..."
"जंग के मैदान मे 1 मिलिमीटर से निशाने का चूक जाना मतलब जंग हार जाना..."
"समझ गया सर, दोबारा शुरू से शुरू करते है हम लोग "बोलते हुए अरुण ने उसके हाथ से जॉब लिया और मेरी तरफ आया,...
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जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स की रैगिंग भी परवान चढ़ रही थी...कुछ सीनियर गार्डन मे तो कुछ रिसेस के वक़्त क्लास मे....कुछ कैंटीन मे तो कुछ सिटी बस मे....मुझे इन सब चूतिया कामो मे कोई इंटेरेस्ट नही था,इसलिए फिलहाल तो मैं इस चूतियापे से दूर था...लेकिन मेरे खास दोस्त अरुण की राय इस मामले मे कुछ अलग थी और ख़तरनाक भी...अलग इसलिए क्यूंकी वो मेरी विचारधारा के विपरीत रैगिंग को जरूरी रकजता था और खतरनाक इसलिए... क्यूंकि एक तरफ जहा वरुण और गौतम... नियम तोड़कर हॉस्टल के लड़को की रैगिंग ले रहे थे, वही अरुण भी ये नियम तोड़कर हॉस्टल का होते हुए सिटी वाले जूनियर्स की रैगिंग ले रहा था... जबकि नियम ये था कि सिटी वाले हॉस्टल के जूनियर्स को नहीं छुएंगे और हॉस्टल वाले सिटी के जूनियर्स को.. पर यहाँ दोनों तरफ से रूल कि धज्जिया उधेडी जा रही थी.. जिसका नतीजा बहुत खतरनाक होने वाला था...
अरुण हॉस्टल के लड़को को छोड़कर सिटी के स्टूडेंट्स की रैगिंग लेता था. अरुण जानता था कि यदि मुझे उसकी इस हरकत के बारे मे मालूम चलेगा तो मैं उसे बहुत पेलुँगा इसीलिए कई दिन तक तो अरुण की इस हरकत की मुझे कोई खबर नही थी और फिर एक दिन....
"अरमान...लोचा हो गया है,चल जल्दी कैंटीन मे..."मै लाइब्रेरी मे बैठा हाई स्पीड wifi से पोर्न डाउनलोड कर रहा था की एक हॉस्टल का सीनियर दौड़ते हुए मेरे पास आया
"अभी नही.. दूर रह ."बीएफ को एग्ज़िट मारते हुए मैने कहा,ताकि जब वो मेरे पास आए तो ये ना जान पाए कि मैं लाइब्रेरी मे बैठा, लाइब्रेरी के wifi से क्या कर रहा था....
"अबे मज़ाक का टाइम नही है...लड़ाई हो गयी फर्स्ट ईयर के एक लड़के से..."
"तो जाना... पेल दे उसे..."
"वो सिटी का है और कहता है कि गौतम को वो जानता है..."
"
ऐसा.....चल.. फिर ."मोबाइल जेब मे डालकर मै तुरंत उठ खड़ा हुआ.
लाइब्रेरी से बाहर कैंटीन की तरफ भागते हुए मैने अरुण को मन ही मन ढेरो गालियाँ दी की... कि उसने इन सबकी शुरुआत ही क्यूँ की.. यदि उसने सिटी वालों को छेड़ा होता तो,बाकी के हॉस्टलर्स भी ऐसा नहीं करते... अब कौन हॉस्टल का फस गया इस चक्कर मे... दौड़ते भागते मै तुरंत कैंटीन पर पंहुचा और पहुंचते ही...
"अरुण...तू.... तू क्या कर रहा यहाँ..."
"मैने सिर्फ़ कैंटीन मे उसे देखकर उसका नाम पुछा तो साले ने अकड़ कर मुझे आँख दिखाई..."अरुण सीधे मुद्दे पे आया...
वो हॉस्टलर कोई और नहीं बल्कि अरुण था जिसकी सिटी के एक जूनियर से लड़ाई हुई थी...
"फिर..."
"फिर मैने साले को एक झापड़ पेल दिया...तो रिप्लाइ मे उसने मुझे ज़ोर से धक्का दिया..."
"और धक्का खाने के बाद तूने मुझे बुलवाया , क्या सोचा था कि सरदार बहुत खुश होगा.. तुझे शाबाशी देगा...?? साले बोला था ना कि सिटी वालो से अपना कोई लेना देना नहीं "
"इन सिटी वालों को औकात दिखाना जरूरी था... साले फर्स्ट ईयर के सिटी वाले लड़के थर्ड ईयर के हॉस्टलर का मज़ाक उड़ा रहे थे कल.... और आज जब मैने इसे एक झापड़ मारा तो 7-8 लौन्डे खड़े हो गये तुरंत.... इसलिए तुझे बुलवाना पड़ा ..."
"और ये तू मुझे अभी बता रहा है बक्चोद...पहले बताया होता तो और लौन्डो को साथ मे ले आता..."बोलते हुए मैने अरुण के सामने खड़ा हुआ
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मुझे सिर्फ एक कि शक्ल साफ थी, जिसे अरुण ने एक झापड़ मारा था और बदले मे उसने अरुण को धक्का दिया था..बाकी उसके 7-8 दोस्त,जो उस फर्स्ट ईयर वाले के सपोर्ट मे खड़े हुए थे.. वो कौन -कौन थे... ये मुझे नहीं पता था, पर वहाँ बैठे स्टूडेंट्स को देखकर मैं तुरंत समझ गया कि वो 7-8 लड़के कौन है...वो सब एक ही टेबल पर बैठे थे और अरुण की तरफ देखकर हंस रहे थे....
"अबे... ये तुझे देख कर हँस रहे है क्या..."मैने अरुण से पुछा...
"हां..."
इसके बाद जब उन लड़को ने अरुण को हाथ से गंदा इशारा किया...तो अरुण उनकी तरफ जाने लगा....
"अरुण तू कुछ मत करना..."
"दायी -माई पेल दूँगा सालो की..."
"फिर मैं जाऊ... आख़िरी बार बोल रहा हूँ ,शांत ही रहना..."
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वो लड़के हम दोनों को देखकर भी बिंदास बैठे हँस रहे थे,..मैने बगल वाली टेबल से एक चेयर खिसकाई और उन्ही के पास बैठ गया....
"बहुत उचक रहे हो बे..."
"अब तू हमारी रैगिंग लेने आया है..."
"रैगिंग नही मैं तो तुम लोगो से रिश्ता बनाने आया हूँ...आओ कौन बनेगा करोड़पती खेलते है..तो पहला सवाल ये रहा आपके थोबडे के सामने...
"तुम सब गौतम के दम पर उचक रहे हो या फिर वरुण के..."
"खुद के दम पर..."उनमे से एक ने जवाब दिया...
"ये समझ लो कि अभी जो मैने क्वेस्चन पुछा वो 1 करोड़ का है..तो प्लीज़ अपने उस आन्सर को एक्सप्लेन करोगे..."
"आक्च्युयली बात ये है बेटे कि ठीक एक साल पहले एक अरमान नाम के लड़के ने 4th ईयर के कई सीनियर्स को ठोका था ,तो हम लोग उसी से इन्स्पाइयर्ड होकर ये सब कर रहे है..हम 7-8 लड़को के ग्रूप ने डिसाइड किया है कि यदि कोई भी सीनियर हमारी रैगिंग लेने आएगा तो हम उसकी ही रैगिंग ले लेंगे....साथ मे गौतम का थोड़ा सपोर्ट भी है ,इसलिए सिटी के सीनियर्स हमे कुछ नही बोलते..लेकिन हॉस्टल के सीनियर्स की पिछवाड़े मे कीड़ा मचल रहा है,जिसे हम मार कर रहेंगे..."
"सही जवाब...अगला सवाल आपके थोबडे के सामने ये रहा....क्या तुम लोग अरमान को जानते हो या फिर उसे कही देखा है...?"
Fauzi kashaf
02-Dec-2021 09:38 AM
Very nice
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